Saturday, April 15, 2023

Sunday, July 18, 2021

घुटनों के दर्द की तकलीफ से छुटकारा

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आसान घरेलू उपायों की मदद से घुटनों के दर्द की इस तकलीफ से छुटकारा 
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घुटनों का दर्द बहुत ही पीड़ादायक होता है और यह आपको चलने-फिरने में भी असमर्थ कर देता है। यदि आपका वजन अधिक हो या आप वृद्धावस्था में हों तो घुटनों का दर्द और भी तकलीफदेह हो जाता है। यह बात कम ही लोग जानते हैं कि कुछ आसान घरेलू उपायों की मदद से घुटनों के दर्द की इस तकलीफ से छुटकारा पाया जा सकता है। जी हाँ ! यदि आप निम्नलिखित कारणों से घुटनों के दर्द से पीड़ित है : 

1. घुटनों की माँसपेशियो में खून का दौरा सही नहीं होना।

2. घुटनों की माँसपेशियो में खिंचाव या तनाव होना। 

3. चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है)

 4. वृद्धावस्था। नीचे बताई गयी सामग्री को मिला कर हल्दी का एक दर्द निवारक पेस्ट बना लीजिये 


उपाय : 1 
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1. छोटा चम्मच हल्दी पाउडर 

2. छोटा चम्मच पीसी हुई चीनी, या बूरा 

3. चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है 

4. आवश्यकतानुसार पानी इन सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये। एक लाल रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाएगा।

यह पेस्ट kaise pryog kare सोने से पहले यह पेस्ट अपने घुटनों पे लगाइए। 

इसे सारी रात घुटनों पे लगा रहने दीजिये। सुबह साधारण पानी से धो लीजिये। 

कुछ दिनों तक प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करने से सूजन, खिंचाव, चोट आदि के कारण होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाएगा। 


उपाय : 2
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 1. छोटा चम्मच सोंठ का पाउडर लीजिये और इसमें थोडा सरसों का तेल मिलाइए। 

2. इसे अच्छी तरह मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लीजिये। 

3. इसे अपने घुटनों पर मलिए। 

इसका प्रयोग आप दिन या रात कभी भी कर सकते हैं। कुछ घंटों बाद इसे धो लीजिये। 

यह प्रयोग करने से आपको घुटनों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा। 


उपाय : 3 
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1. 4-5 बादाम 

2. 5-6 साबुत काली मिर्च 

3. 10 मुनक्का 

4. 6-7 अखरोट 

इन सभी चीज़ों को एक साथ मिलाकर खाएं और साथ में गर्म दूध पीयें। कुछ दिन तक यह प्रयोग रोजाना करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा। 


उपाय : 4 
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खजूर विटामिन ए, बी, सी, आयरन व फोस्फोरस का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसलिए, खजूर घुटनों के दर्द सहित सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द के लिए बहुत असरकारक है. प्रयोग प्रयोग

एक कप पानी में 7-8 खजूर रात भर भिगोयें। सुबह खाली पेट ये खजूर खाएं और जिस पानी में खजूर भिगोये थे, वो पानी भी पीयें। ऐसा करने से घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और घुटनों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है। 


उपाय : 5 
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नारियल भी घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छी औषधी है।

 1. रोजाना सूखा नारियल खाएं। 

2. नारियल का दूध पीयें। 

3. घुटनों पर दिन में दो बार नारियल के तेल की मालिश करें इससे घुटनों के दर्द में अद्भुत लाभ होता है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपको इन आसान और कारगर उपायो से लाभ मिले।

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Tuesday, November 21, 2017

*आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे!* प्रेषक: रूपेश यादव

🙏🏻🕉
*आप की हत्या की साजिश*
रची गई है!
और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं!
वो भी परिवार सहित.?

*आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे!*
प्रेषक: रूपेश यादव

सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... *रिफाईनड तेल*

केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... *रिफाईनड तेल*

आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये!

रिफाईनड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।*

*रिफाईनड तेल बनता कैसे हैं।*

बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है
*वाशिंग*-- वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि Impurities इस बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।

*Neutralisation*--तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

*Bleaching*--इस विधी में P. O. P{प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी. ओ. पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है!

*Hydrogenation*-- एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।
*निकेल*एक प्रकार का Catalyst metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।

रिफाईनड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाईनड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!

*दिलथाम के अब पढे*

*हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells नऐ Cells से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है, यदि हम रिफाईनड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे Toxins की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है, तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* -— कैंसर *Cancer*,  *Diabetes* मधुमेह, *Heart Attack* हार्ट अटैक, *Kidney Problems* किडनी खराब,
*Allergies,  Stomach Ulcer,  Premature Aging,  Impotence,  Arthritis,  Depression,  Blood pressure आदि हजारों बिमारियां होगी।*

रिफाईनड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पांम आंयल मिक्स किया जाता है! (पांम आंयल सवमं एक धीमी मौत है)

*सरकार का आदेश*--हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पांम खपाने के लिए,मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि,
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %
खाद्य तेलों में पांम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा!
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पांम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 %बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग(पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं,
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पांम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!

*अब तो कई नामी कंपनियों ने पांम से भी सस्ता,, गाड़ी में से निकाला काला आंयल* *(जिसे आप गाडी सर्विस करने वाले के छोड आते हैं)*
*वह भी रिफाईनड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही...
दलहन में... मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि आती है।
अतः सोयाबीन तेल ,  पेवर पांम आंयल ही होता है। पांम आंयल को रिफाईनड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह,
प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,
पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है,
उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पांम आंयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मंगोडी बनाई जाती है!
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!

सूरजमुखी, चावल की भूसी (चारा) आदि के तेल रिफाईनड के बिना नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है!

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला.

सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला
10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.
15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!

पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि.उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।

और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....?
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?
अधुरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।

*राम नही किसी को मारता.... न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं.... कर कर खोटे काम!!*
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*
अच्छी वस्तुओं का भोग,.. कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता!

तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए! पोस्टीक वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
आज कल सभी कम्पनी.. अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए! लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए. इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!
लेकिन मोटर भी बैल की गती जितनी ही चले!
लोहे की बड़ी बड़ी सपेलर (मशिने) उनका बेलन लाखों की गती से चलता है जिससे तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी...
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इस पोस्ट को शेयर किजिए यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं, लेकिन इस सम्पर्क सूत्र को मिटाये नहीं, क्योंकि यह व्यापार नहीं,, स्वदेशी का बढावा है, विदेशी लुट से छुटकारा है! स्वास्थ्य की सेवा है, शुद्धता लेने वालों के लिए.. सेवा केन्द्र है!
पता के अभाव के कारण, लोगों को शुद्ध तेल नहीं मिलता है!
नोट... सभी प्रकार के तेल सामने ही निकाल कर दिया जाता है 🙏
स्वदेशी अपनाओ..  परिवार व देश बचाओ

निवेदक एवं प्रेषक:
रूपेश यादव
गौ मानव सेवा ट्रस्ट (रज़ि)
गौशाला,ऊँचा गावँ,बल्लभगढ-121004
(हरियाणा)

Monday, November 13, 2017

सफ़ेद चीनी - सफ़ेद जहर


चीनी स्वाद में भले ही मीठी लगती है, लेकिन सेहत के लिए यह बेहद घातक है. चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है. जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है. क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है). जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है.

गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है. गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है. जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है. जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है. यह इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डालती है. इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें.

मांस-पेशियों के प्रोटीन पर पड़ता है असर : चीनी के ज्यादा सेवन से शरीर में ग्लूकोज-6 फॉसफेट (G6P) की मात्रा बढ़ जाती है. इससे हृदय की मांस-पोशियों में प्रोटीन की मात्रा भी बदलती है. यह हार्ट अटैक का कारण बन सकता है.
सेल्स पर पड़ता है बुरा असर : 2009 में एक अध्ययन में पता चला था कि शरीर की कोशिकाओं और दिमाग पर कि ग्लूकोज का बुरा असर पड़ता है.

इम्यून सिस्टम : चीनी का बुरा असर इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है. यह हमारे शरीर की इम्युनिटी को कम करती है.
कैंसर का भी है खतरा : चीनी से मल में बाइल ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है. इससे ऐसा पदार्थ बनता है जिससे कैंसर हो सकता है.
गर्भवती महिलाएं रहें सावधान : गर्भावस्था के दौरान ज्यादा चीनी खाने से गर्भ में पल रहे बच्चे की मांस-पेशियां कमजोर हो सकती हैं.

फैट और कलेस्ट्रॉल : चीनी के लगातार सेवन से ब्लड प्रोटीन भी प्रभावित होता है. इससे शरीर को फैट और कलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण करने में परेशानी होती है.
चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं. चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है.

चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है. चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं.
चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है. चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है.

गुड़ के फायदे : गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है.गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं, गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है. खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ. आपको कभी बीमारी नहीं होगी, गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा,  गुड को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये, गुड को दही में मिलाके खाया जा सकता है. बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है, गुड की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है.
अंग्रेजों को भारत से चीनी की आपूर्ति होती थी. और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे. तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है.

ਸੇਹਤ ਸਲੋਕ

ਹਰੇ ਔਲੇ ਵਿਚ ਸ਼ਹਿਦ ਮਿਲਾ ਖਾਈੰ ਯਾਦ ਸ਼ਕਤੀ ਹੋਵੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਬੇਲੀ।

ਦਹੀਂ ਮੂਲੀ ਇਕੱਠੇ ਨਾ ਕਦੇ ਖਾਈਏ ਮੱਛੀ ਦੁੱਧ ਨਾ ਕੱਠਾ ਡਕਾਰ ਬੇਲੀ।

ਜਿਗਰ ਖਰਾਬ ਤਾਂ ਰੱਜ ਕੇ ਖਾ ਜਾਮੁਨ ਖੂਨ ਖਰਾਬ ਲਈ ਨਿੰਮ ਸ਼ਾਹਕਾਰ ਬੇਲੀ।

ਬੇਹੀ ਰੋਟੀ ਭਿਉੰ ਖਾ ਦੁੱਧ ਤੜਕੇ ਖੂਨ ਦੌਰੇ ਦਾ ਖਾਸ ਉਪਚਾਰ ਬੇਲੀ।

ਕਾਲੇ ਤਿਲਾਂ ਦੇ ਗੁੜ ਬਣਾਓ ਲੱਡੂ ਪਿਸ਼ਾਬ ਆਂਵਦਾ ਜੇ ਬਾਰ ਬਾਰ ਬੇਲੀ।

ਸਰੋਂ ਤੇਲ ਤੇ ਹਲਦੀ ਦਾ ਲੇਪ ਕਰ ਲਓ ਹੋਵੇ ਪੀੜ ਕਾਹਨੂੰ ਦੰਦ ਜਾੜ ਬੇਲੀ ।

ਪਿਆਜ ਪਾਣੀ ਤੇ ਸਰੋਂ ਦਾ ਤੇਲ ਦੋਵੇਂ ਸੱਪ ਕੱਟੇ ਪਿਆਓ ਇੱਕ ਸਾਰ ਬੇਲੀ।

ਜੜਾਂ ਅਸਗੰਧ ਤੇ ਖੰਡ ਦਾ ਖਾਓ ਚੂਰਣ ਗਠੀਆ ਰੋਗ ਦਾ ਹੋਵੇ ਉਧਾਰ ਬੇਲੀ।

ਰਸ ਗਾਜਰ ਦਾ ਸੇਬ ਤੋਂ ਕਿਤੇ ਚੰਗਾ ਹੈ ਸਸਤਾ ਮਿਲੇ ਹੁਦਾਰ ਬੇਲੀ।

ਹੋਵੇ ਕਬਜ ਸਵੇਰੇ ਰਸ ਸੰਤਰੇ ਦਾ ਭੱਜ ਉਠੇੰਗਾ ਨਾਲ ਰਫਤਾਰ ਬੇਲੀ।

ਵੱਢੇ ਭੂੰਡ ਜਾਂ ਵੱਢ ਜਾਏ ਸ਼ਹਿਦ ਮੱਖੀ ਕੱਚਾ ਪਿਆਜ ਲਾ ਇੱਕ ਵਾਰ ਬੇਲੀ।

ਕਿਸ਼ਮਿਸ਼ ਰਾਤ ਭਿਓੰ ਕੇ ਖਾ ਤੜਕੇ ਲੈ ਨਕਸੀਰ ਦਾ ਨੁਸਖਾ ਉਤਾਰ ਬੇਲੀ!

ਹੋਵੇ ਦਾਦ ਸਵੇਰ ਦੀ ਥੁੱਕ ਮਲੀਏ ਪੈਸੇ ਖਰਚ ਨਾ ਐੰਵੇ ਬੇਕਾਰ ਬੇਲੀ।

ਪਿਆਜ ਗਰਮ ਕਰ ਉਸਦਾ ਰਸ ਪਾ ਲੈ ਕੰਨ ਪੀੜ ਤੋਂ ਜੇ ਅਵਾਜਾਰ ਬੇਲੀ।

ਮੂਲੀ ਪੱਤਿਆਂ ਅਰਕ ਮਿਲਾ ਮਿਸਰੀ ਹੋਵੇ ਪੀਲੀਆ ਨਾ ਦੂਜੀ ਵਾਰ ਬੇਲੀ।

ਸ਼ੁਗਰ ਰੋਗ ਲਈ ਜਾਮੁਨ ਅਕਸੀਰ ਹੁੰਦਾ ਤਿੱਲੀ ਰੋਗ ਲਈ ਬਾਥੂ ਸਰਦਾਰ ਬੇਲੀ।

ਹਰੇ ਔਲੇ ਵਿਚ ਸ਼ਹਿਦ ਮਿਲਾ ਖਾਈੰ ਯਾਦ ਸ਼ਕਤੀ ਹੋਵੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਬੇਲੀ।

ਦਹੀਂ ਮੂਲੀ ਇਕੱਠੇ ਨਾ ਕਦੇ ਖਾਈਏ ਮੱਛੀ ਦੁੱਧ ਨਾ ਕੱਠਾ ਡਕਾਰ ਬੇਲੀ।

ਭਾਦੋਂ ਛੋਲੇ ਵੈਸਾਖ ਵਿਚ ਚੌਲ ਚੰਗੇ ਮਾਘ ਖਿਚੜੀ ਦਾ ਅਹਾਰ ਬੇਲੀ।

ਦਾਲ ਮਾਂਹ ਦੀ ਘੀਆ ਨਾ ਖਾ ਕੱਠੇ, ਰਾਤੀਂ ਫਲ ਵੀ ਥੋੜਾ ਵਿਸਾਰ ਬੇਲੀ।

ਬਾਸੀ ਮੀਟ ਮਾੜਾ ਤਾਜਾ ਦਹੀਂ ਮਾੜਾ ਬੁੱਢੀ ਨਾਰ ਦੀ ਸੇਜ ਹੈ ਖਾਰ ਬੇਲੀ।

ਧਨੀਆ ਘੋਟ ਕੇ ਰੋਜ ਪਿਲਾ ਦਈਏ ਮੈਲ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਰੱਖੇ ਜੇ ਯਾਰ ਬੇਲੀ।

ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਸਵੇਰੇ ਹੀ ਸ਼ਹਿਦ ਪੀ ਲੈ ਦਮਾ ਠੀਕ ਤੇ ਘਟੇਗਾ ਭਾਰ ਬੇਲੀ।

ਮੇਥੀ ਦਾਣੇ ਨੂੰ ਪੀਸ ਕੇ ਖਾ ਤੜਕੇ ਗੋਡੇ ਦਰਦ ਤੋਂ ਜੇ ਬੇਜਾਰ ਬੇਲੀ।

ਕਾਲੀ ਮਿਰਚ ਤੇ ਤੁਲਸੀ ਚਾਹ ਪੀਓ ਭੱਜ ਜਾਏਗਾ ਜੁਕਾਮ ਬੁਖਾਰ ਬੇਲੀ।

ਮੱਠੈ ਵਿਚ ਜਵੈਨ ਤੇ ਨਮਕ ਕਾਲਾ ਪੇਟ ਗੈਸ ਦਾ ਕੱਟੇ ਵਕਾਰ ਬੈਲੀ............copy paste

Monday, November 6, 2017

टाइफाईड

टाइफाईड

परिचय-

इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण बैक्टीरिया का संक्रमण है। यह बैक्टीरिया व्यक्ति के शरीर में भोजन नली तथा आंतों में चले जाते हैं और फिर वहां से वे खून में चले जाते हैं और कुछ दिनों के बाद व्यक्ति को रोग ग्रस्त कर देते हैं। इस रोग में रोगी के शरीर पर गुलाबी रंग के छोटे-छोटे दानों जैसे धब्बे निकल जाते हैं। इस रोग में रोगी की तिल्ली बढ़ जाती है और उसके पेट में गड़बड़ी बढ़ जाती है। इस रोग में व्यक्ति को शाम के समय में अधिक बुखार हो जाता है और यह बुखार कई दिनों तक रहता है।

टाइफाईड रोग के लक्षण-
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के शरीर में हर समय बुखार रहता है तथा यह बुखार शाम के समय और भी तेज हो जाता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द भी रहता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है तथा उसका जी मिचलाता रहता है।
टाइफाईड रोग के रोगी को भूख नहीं लगती तथा उसकी जीभ पर मैल की परत सी जम जाती है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के शरीर की मांस-पेशियों में दर्द होता रहता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को कब्ज तथा दस्त की समस्या भी हो जाती है।

टाइफाईड रोग होने का कारण-
टाइफाईड रोग एक प्रकार के जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है इस जीवाणु में बूसीलस टायफोसस जीवाणु प्रमुख है।
बूसीलस टायफोसस जीवाणु दूध तथा मक्खन में तेजी से पनपता है। जब कोई व्यक्ति इसके संक्रमण से प्रभावित चीजों का सेवन कर लेता है तो उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।
बूसीलस टायफोसस जीवाणु पानी, नालियों में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ, मक्खियों के शरीर से, मल-मूत्र से पैदा होता है। जब कोई व्यक्ति इस चीजों के सम्पर्क में आता है तो उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।
जिन व्यक्तियों को टाइफाईड रोग हो चुका हो उसके सम्पर्क में यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति आ जाता है तो उसे भी टाइफाईड रोग हो जाता है।बूसीलस टायफोसस जीवाणु पानी, नालियों में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ, मक्खियों के शरीर से, मल-मूत्र से पैदा होता है। जब कोई व्यक्ति इस चीजों के सम्पर्क में आता है तो उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।
जिन व्यक्तियों को टाइफाईड रोग हो चुका हो उसके सम्पर्क में यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति आ जाता है तो उसे भी टाइफाईड रोग हो जाता है।
बूसीलस टायफोसस जीवाणु किसी तरह से व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है तो यह उसके शरीर के अंदर एक प्रकार का जहर (विष) का निर्माण करता है जो खून के द्वारा स्नायु प्रणाली जैसे सारे अंगों में फैल जाता है जिसके कारण रोगी के शरीर में रक्तविषाक्तता की अवस्था प्रकट हो जाती है और उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।

टाइफाईड रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
टाइफाईड रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए, जब तक कि उसके शरीर में टाइफाईड रोग होने के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में काली मिर्च मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित व्यक्ति को बुखार होने पर उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए, इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित व्यक्ति को उपवास रखना चाहिए तथा इसके बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से टाइफाईड रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए प्रतिदिन रोगी को गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। रोगी को
आवश्यकतानुसार गर्म या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति भी कराना चाहिए जिसके फलस्वरूप टाइफाईड रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
यदि टाइफाईड रोग का प्रभाव बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठण्डी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए। इसके बाद उसे गर्मपाद स्नान क्रिया करानी चाहिए।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को जिस समय बुखार तेज नहीं हो उस समय उसे कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे टाइफाईड रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को ठण्ड लग रही हो तो उसके पास में गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल उढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से भी टाइफाईड रोग बहुत जल्दी ही ठीक हो जाता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से आराम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी हर 2-2 घंटे पर पिलाने से उसका बुखार जल्दी ठीक हो जाता है और टाइफाईड रोग भी जल्दी ही ठीक होने लगता है।
शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और टाइफाईड रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से उसके शरीर में फुर्ती पैदा होती है और उसका बुखार भी उतरने लगता है।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से बुखार कम हो जाता है टाइफाईड रोग ठीक होने लगता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को खुला हवादार कमरा रहने के लिए, हल्के आरामदायक वस्त्र पहनने के लिए तथा पर्याप्त आराम करना बहुत आवश्यक है।
जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद फलों के ताजे रसपीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद फलों के ताजे रस को कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए ऐसा करने से उसे दुबारा बुखार नहीं होता है और टाइफाईड रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि उसे दूध पीने की इच्छा हो तो दूध में पानी मिलाकर हल्का कर लेना चाहिए तथा इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को अपने चारों ओर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।
टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी का बुखार 3 दिन तक सामान्य स्थिति में रहे तो रोगी को दूध मिला हुआ अंडे का जूस बनाकर पिलाना चाहिए तथा डबलरोटी के छोटे-छोटे टुकड़े को खिलाना चाहिए और फिर रोगी को पूर्ण रूप से आराम करने के लिए कहना चाहिए। इस प्रकार से अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से कराने से रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता हेै ।

Friday, November 3, 2017

दर्द की घरेलु उपचार

आज कल की अति व्यस्त भाग दौड़ भरी जिंदगी में लगातार काम करते रहने, समय पर खान पान ना करने, अत्यधिक शारीरिक श्रम करने, पर्याप्त नींद ना लेने वा तनाव की वजह से शरीर पर जल्दी ही थकावट हावी हो जाती है, बदन दर्द करने लगता है जिससे किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है ।

हम यहाँ पर कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिनकी सहायता से आप अपने बदन दर्द से निजात पा सकते है ।

* लहसुन की चार पाँच कुलियाँ छीलकर और आधा चम्मच अजवायन के दाने तीस ग्राम सरसों के तेल में डालकर धीमी-धीमी आँच पर पकायें। लहसुन और अजवायन काली पडने पर तेल उतारकर उसे छान लें। इस हल्के गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार के बदन दर्द में आराम मिलता है।

* अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ पैरों की ऐंठन दर्द जल्दी ही दूर हो जाता है।

* हल्दी में दर्द निवारक मानी गयी है। बदन दर्द में हल्दी चूर्ण को दूध के साथ लेने पर शीघ्र ही राहत मिलती है।

* बदन दर्द से बचने के लिए फल और सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन करें ।
* सरसों के तेल में नमक मिलाकर गुनगुना करके पूरे बदन पर मालिश करके गर्म पानी में नहा लें।,,,